Aashad amavasya 2024 (Asad amavasya 2024): aashad amavasya 2024 mein, pitro ke liye pind Dan, tarpan, kaise karen, jaane Pandit Ji se :
Aashad amavasya is bar 5 July 2014 Ko hai es din, pitaro ke liye ‘”pind dan ” kaise karen , tarpan kaise karen jaane niyam (आषाढ़ अमावस्या इस बार 5 जुलाई 2024 को है जो शुक्रवार को पड़ता है इस अमावस्या पितरों के पिंडदान और तर्पण कैसे करें जाने पंडित जी से )
- आषाढ़ अमावस्या इस बार 5 जुलाई 2024 को दिन शुक्रवार को मनाया जा रहा है अमावस्या के दिन पितरों के लिए सबसे उच्च दिन होता है इस दिन पितृ पृथ्वी पर आते हैं और अपने परिवार से जो भी भोजन या जल तिल द्रव्य अन्य वास्तु मिलता है उसे ग्रहण करते हैं अमावस्या वाले दिन या तो कई नदी नदी जैसे गंगा नहा करके पितरों के हित में उपाय करना चाहिए अगर आप किसी कारणवश नदी नहीं जा सकते तो घर पर ही बाल्टी में गंगाजल डालकर स्नान करें तत्पश्चात पितरों के लिए सर्वाधिक उपाय करें जिसमें पहले उपाय आप मुंडन भी कर सकते हैं उसके बाद सुदर्शन करें सफेद वस्त्र धारण करें इस सफेद वस्त्र को आप पूजन के बाद किसी को दान कर देंग।
पूजा क्रमश :
- पिंड दान
- तर्पण
- पंचबली
- भोग
- स्नान
- शुद्ध वस्त्र
- दान
पिंड दान (pind dan): पिंडदान करने के लए एक खाली बर्तन लेंगे जिसमें जॉ का आटा, तिल, कच्चा दूध, शहद, पंचमेवा,etc डालकर उसे अच्छी तरह मिला ले इसके बाद सुंदर-सुंदर गोल आकार पिंड बनाएं 5 पिंड ,7 पिंड,16 पिंड, इन पिंडों को रेत या कटहल के पत्ते पर रखकर विधिवत पंचों उपचार से पूजन करे। जैसे शुद्ध स्नान कर वस्त्र दे फूल इत्र तथा फल और प्रसाद से भोग लगे इसके बाद धूप दीप दिखाएं फिर आचरण कर दें इन सब करने के बाद पिंड को उठाकर सूंघकर इसे बहते जल में या गाय को खिला दे।
तर्पन (tarpan): जैसा की शास्त्रों वर्णन है की अमावस्या के दिन जो व्यक्ति तिल और जल या कच्चा दूध से तर्पण करता है उससे पितर प्रसन्न होते हैं और इस सभी वस्तु या जल पितरों को प्राप्त होते हैं पितरों की पूजा में दक्षिण मुख आसन पर बैठकर एक बड़े से बर्तन में जल लेकर कुश की अंगूठी अनामिका अंगुली में धारण करें और संकल्प करें तीन जॉ कुश द्रव लेकर। इसके उपरांत पहले देवताओं का ऋषियों का तर्पण करें देवताओं में अगर भाग से जल छोड़े और ऋषियों में मध्य भाग से जल छोड़े फिर पितरों के लिए तर्पण करें जिसमें अंगूठा के भाग से जल छोड़े उसमें आप अपने पितरों का नाम गोत्र उच्चारण कर जल अंगूठा की धार में छोड़ते हैं। तर्पन के उपरांत अपने अंगोछे को जल मे डुबाकर बाहर जमीन पर earth पर गिरा दे। इतना करने के बाद इस जल को बाढ़ के पेड़ में चढ़ा दे
पंचबली (panchbali) : पंचबली पांच प्रकार जानवरों का भोजन है जिसमें गाय, कुता, कौवा, चींटी और कीड़े मकोड़ों का है आपके घर में जो भी भोजन बना है उसमें से सभी भोजन पांच जगह अलग-अलग निकले। यहां पर कुछ लोग आग पर भोजन रखते हैं जिसे अगियार कहते है पितरों का थाल अलग से निकाल कर चौराहे पर रख देना चाहिए जिसमें जल उनके प्रिय वस्तु भी। Panchbali पंचबली में कुछ द्रव्य रखकर संकल्प करें फिर उसे गाय को दे ।
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भोग ( bhog): पंचबली के उपरांत पितरों केलिए पितरों के लिए एक विशेष थाली निकाले जो पितरों को भोग लगाकर एक चौराहे पर रखकर पीछे मुड़ कर ना देखें
स्नान,शुद्ध वस्त्र,दान : इन सब क्रिया के बाद शुद्ध जल से स्नान करें और वस्त्र धारण करें इसके बाद जो भी वस्तु आपको अपने पितरों के लिए दान करना है उसे संकल्प कर ब्राह्मण को या किसी गरीब को दे। दान वास्तु यथाशक्ति ही दान करें चावल आटा आलू छाता चम्मच नमक मसाला तेल e.t.c
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