नाग पंचमी (naag Panchami ) : इस नाग पंचमी पर करे ? काल सर्प योग तथा पितृ दोष निवारण पूजा जानकारी के लिए पढ़े
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नाग पंचमी पर क्या करे: हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों में पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा और व्रत रखने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है और भय दूर होता है। इस वर्ष नाग पंचमी के दिन कई तरह के दुर्लभ योग बन रहे हैं। आपको बता दें कि इस बार नाग पंचमी पर 5 तरह के दुर्लभ संयोग बनने जा रहे हैं। नाग पंचमी के दिन सुख-वैभव प्रदान करने वाले ग्रह शुक्र ग्रह और बुधदेव मिलकर लक्ष्मी नारायण योग बनाएंगे। इसके अलावा नाग पंचमी पर शनिदेव अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में रहते हुए शश राजयोग का निर्माण करेंगे। चंद्रदेव कन्या राशि में होंगे और राहु के साथ समसप्तक योग का निर्माण करेंगे। ग्रहों के अलावा नागपचंमी पर शुभ और सिद्ध योग भी बनेगा। नागपंचमी पर एक साथ कई तरह के योग बनने के कारण इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ेगा। जिसमें से कुछ राशि के लोगों के लिए नाग पंचमी का त्योहार बहुत ही शुभ और तरक्की दिलाने वाला होगा। आइए जानते हैं नाग पंचमी पर किन-किन राशि वालों को मिलेगा भाग्य का साथ।
मान्यता के अनुसार इस दिन बाबा भोलेनाथ के संग नाग देवता की पूजा करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खासकर पितृ दोष और कालसर्प दोष का प्रभाव कम होता है। इस दिन काल सर्प दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान कर इससे मुक्ति पायी जाती है। इसके साथ ही जो भी इस दिन नाग देवता की पूजा करता है, उसकी मृत्यु कभी सांप के काटने से नहीं होती है। इस दिन अनंत, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक आठ नागों की पूजा करने का विधान है।
प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व
हिंदू धर्म में मान्यता के अनुसार प्राचीन काल से ही नाग देव को सांपों के देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। यह प्रकृति पूजा से जुड़ा पर्व भी है। इस दिन नाग देव को दूध से स्नान कराकर उनकी पूजा की जाती है। नाग देव को दूध पिलाने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर सांप की मूर्ति बनाने की भी परंपरा है। माना जाता है कि यह घर को सांप के प्रकोप से बचाता है।
शुक्रवार को उदया तिथि
नागपंचमी तिथि 8 अगस्त की रात्रि 12:36 बजे, यानी शुक्रवार 9 अगस्त से आरंभ होगी। यह अगले दिन 10 अगस्त की सुबह 3:36 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि शुक्रवार को पड़ने से त्योहार 9 को मनाया जाएगा।
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पितृ और कालसर्प दोष से मुक्ति
पंडित अनूप पाण्डेय ने बताया कि मान्यता के अनुसार नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से नाग या कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग देव की पूजा करने से व्यक्ति को भविष्य में सर्पदंश का सामना नहीं करना पड़ता। कालसर्प दोष व्यक्ति इस दिन श्री सर्प सूक्त का पाठ कर इससे मुक्ति पा सकते हैं। जबकि, पितृदोष निवारण के लिए व्यक्ति को नागपंचमी के दिन विशेष पूजा करनी होती है।
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